Tuesday 7 April 2020

कोरोना संकट के बीच जेल से बाहर आ सकते हैं लालू यादव!

कोरोना संकट के बीच जेल से बाहर आ सकते हैं लालू यादव! झारखंड सरकार कर रही विचार



रांची. कोरोना (Corona) से निबटने की तैयारी के बीच झारखंड सरकार (Jharkhand Government) बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद (Lalu Yadav) यादव को बड़ी राहत देने की भी तैयारी कर रही है. उन्हें जेल से बाहर निकाला जा सकता है. हेमंत सरकार उन्हें पैरोल (Parole) देने पर विचार कर रही है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के आदेश के मद्देनजर राजद सुप्रीमो को पैरोल दिया जा सकता है. राज्य सरकार के कृषि मंत्री बादल ने इस बात की पुष्टि भी की है. कृषि मंत्री ने कहा कि लालू प्रसाद को पैरोल देने की कवायद चल रही है. इसके लिए महाधिवक्ता की राय ली जा रही है. जेल प्रशासन से बातचीत जारी है.


कोरोना को लेकर सजायाफ्ता कैदियों को पैरोल पर छोड़ने का आदेश  


दरअसल कोरोना वायरस के संक्रमण के खतरे को देखते हुए हाल में सुप्रीम कोर्ट ने सजायाफ्ता कैदियों को पैरोल पर जेल से छोड़ने का राज्य सरकारों को फैसला सुनाया. इसी आलोक से संदर्भ में हेमंत सरकार लालू प्रसाद को पैरोल देने पर विचार कर रही है. राजद सुप्रीमों फिलहाल रांची के रिम्स के पेइंग वार्ड में भर्ती है. इसी पेइंग वार्ड में कोरोना संदिग्ध मरीजों के लिए आइसोलेशन वार्ड बनाया गया है. कोरोना के खौफ से राजद सुप्रीमो ने वार्ड से बाहर निकलकर टहलना भी छोड़ दिया है.


लालू यादव की तबीयत ठीक नहीं


रिम्स के डॉक्टरों के मुताबिक लालू यादव की तबीयत ठीक नहीं चल रही है. कुछ दिनों पहले रिम्स के आठ सदस्यीय मेडिकल बोर्ड ने उनके स्वास्थ्य की समीक्षा की थी. बोर्ड ने ये तय किया था कि लालू प्रसाद को बेहतर इलाज के लिए एम्स, दिल्ली नहीं भेजा जाएगा. उनके किडनी रोगों की जांच के लिए एम्स, दिल्ली से एक नेफ्रोलॉजिस्ट को रिम्स बुलाया जाएगा. नेफ्रोलॉजिस्ट यदि उन्हें इलाज के लिए रिम्स से बाहर भेजने की बात कहते हैं, तब उस दिशा में कार्रवाई की जाएगी.


चारा घोटाले के चार मामलों में हैं सजायाफ्ता 


बता दें कि लालू प्रसाद चारा घोटाले के झारखंड से जुड़े चार मामलों में सजा काट रहे हैं. किडनी समेत एक दर्जन से ज्यादा बीमारियों से परेशान आरजेडी सुप्रीमो को रांची के होटवार जेल से लाकर रिम्स में इलाज कराया जा रहा है. जमानत पर बाहर निकलने के लिए उन्होंने झारखंड हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक का दरवाजा खटखटाया, लेकिन बेल नहीं मिली.

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